बीजेपी की भविष्यवाणीः ठाकरे सरकार नहीं चल पाएगी!

अब्दुल सत्तार सिलावट


वरिष्ठ पत्रकार, राजनैतिक विश्लेषक, राष्ट्रीय-अन्तर्राष्ट्रीय पत्रकारिता के शिखर छूने के साथ टी.वी. न्यूज चैनलों के संचालन के अनुभवी, चार दशक से पत्रकारिता के क्षेत्र में प्रतिष्ठित व्यक्तित्व assilawat@gmail.com


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बीजेपी के नेता महाराष्ट्र गठबंधन पर 'होच - पोच'


बीजेपी की भविष्यवाणीः ठाकरे सरकार नहीं चल पाएगी!


बीजेपी के तीन जुमले.... 1- शिवसेना कभी धर्मनिरपेक्ष नहीं बन सकती... 2- ठाकरे सरकार कांग्रेस - एनसीपी के साथ नहीं चल सकती... 3- अनुभवहीन मुख्यमंत्री है उद्धव ठाकरे...


उद्धव ठाकरे की सरकार नहीं चलेगी की घोषणा करने वाले अनुभवी भविष्य वक्ताओं से पूछो कि चोरी-चोरी शपथ लेने वाले देवेंद्र फडणवीस की सरकार चलने पर आपके पास क्या गारंटी थी। बीजेपी के नेता मुंबई से लेकर राष्ट्रीय स्तर पर भ्रमित और हॉच - पॉच' हो गए हैं। महाराष्ट्र की बीजेपी सरकार को सुप्रीम कोर्ट की फटकार के साथ हटाने के बाद प्रधानमंत्री मोदी.. अमित शाह तो बोलना ही बंद कर दिया है। लेकिन मालेगांव ब्लास्ट कांड में आरोपी साध्वी प्रज्ञा भी राष्ट्र विरोधी बयान देकर बीजेपी को लोकसभा सदन पर बैकफुट पर आने को मजबूर कर रही है। यह सब हड़बड़ाहट में महाराष्ट्र में हुए अचानक बदलाव इसी से बीजेपी के नेताओं में खलबली सी मच गई है और शांत हो करके अपनी गलतियों पर मंथन करके और आगे की रणनीति बनानी चाहिए ऐसा राजनीतिक चाणक्य सोचते हैं।



मुंबई/ जयपुर । शिवसेना-कांग्रेस और एनसीपी की मिली जुली सरकार के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने आज मुंबई के शिवाजी पार्क में 50 हजार से अधिक नागरिकों की मौजूदगी में मुख्यमंत्री की शपथ ली। शिवसेना तथा ठाकरे परिवार के पहले व्यक्ति बने उद्धव ठाकरे । जो सिर्फ विधायक ही नहीं सीधे मुख्यमंत्री की कुर्सी तक पहुंचे हैं। शिवसेना है जिना 30 साल तक भारतीय जनता पार्टी के साथ महाराष्ट्र में गठबंधन करके सरकार बनाती रही। विपक्ष में भी बीजेपी के साथ बैठी है। लेकिन इस बार के विधानसभा चुनाव के बाद बीजेपी के साथ हुए मतभेद के बाद शिवसेना के नेता उद्धव ठाकरे को कांग्रेस और एनसीपी के खेमे तक पहुंचाने में कामयाब रहे। और एनसीपी के शरद पवार द्वारा जो राजनीतिक पासा फेंका गया था। उसको सिर्फ पासा ही नहीं रखा बल्कि उद्धव ठाकरे को मुख्यमंत्री भी बनवा दिया। ___भारतीय जनता पार्टी उद्धव ठाकरे के मुख्यमंत्री बनने के बाद 3 तरह की बातें बड़े जोर - शोर से कह रही है। एक.... शिवसेना हिंदुत्व की रक्षक पार्टी थी। वह धर्मनिरपेक्ष की शपथ कैसे ले सकती है। धर्मनिरपेक्षता पर कैसे चल सकती है। जबकि देश के प्रधानमंत्री जी को टोपी पहनने से नफरत थी। मुसलमानों को टोपी के साथ देखने पर मंच से दूर रखते थे। उन्होंने दुनिया के मुस्लिम देशों में टोपी भी पहननी,, रुमाल भी ओढ़ा और गले में भी डाला। साथ ही मुसलमानों को गले से लगाकर मिलना भी सीख गए। भारत की मुस्लिम महिलाओं के लिए नरेंद्र मोदी ने तीन तलाक बिल लाकर


हमदर्दी जताई है। चार शादियों की खिलाफत करके और मोदी जी ने मुसलमानों के हित में मिशन चलाएं है। इसे भारतीय जनता पार्टी के नेता नरेंद्र मोदी के सत्ता में बने रहने की मजबूरी कह सकते हैं क्या? दूसरा आरोप...पहली बार मुख्यमंत्री बने उद्धव ठाकरे अनुभवहीन होने की है। बीजेपी के नेताओं से पूछना चाहते हैं कि क्या देवेंद्र फडणवीस महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बने तब क्या उन्हें दो चार बार मुख्यमंत्री बनने का अनुभव था। हरियाणा के मुख्यमत्रा मुख्यमंत्री बाबूलाल को पहली बार मुख्यमंत्री बनाया तब क्या उन्हें मख्यमंत्री पद पर काम करने का अनुभव था। मुख्यमंत्री तो दूर,,, देश के प्रधानम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को 2014 में पहली बार जब प्रधानमंत्री बने तब क्या उन्हें प्रधानमंत्री का अनुभव था। बीजेपी के नेता अपने गरेबान झांक कर देखे कि उन्होंने भी पहली बार किसी को मुख्यमंत्री बनाया है,,,, पहली बार प्रधानमंत्री बनाया है.... और पहली बार कई राज्यपाल बनाए गए हैं। जो आज तक कामयाब रहे है। उद्धव सरकार पर तीसरा आरोप...लगाते हैं कि कांग्रेस और एनसीपी के साथ सरकार नहीं चल पाएगी। शिवसेना के उद्धव ठाकरे सरकार कांग्रेस के साथ क्यों नहीं सकती है। जब बीजेपी पर सांप्रदायिक और मुस्लिम विरोधी पार्टी होने के आरोप लगाने वाली एनसीपी जो 54 सीटें जीतकर आई है। उसी के अजीत पवार को बीजेपी ने उपमुख्यमंत्री बनाकर 72 घंटे की सरकार चला ली थी। वह भी रात के अंधेरे में चोरी - छुपे सरकार बनाई थी। जबकि उद्धव ठाकरे ने शिवाजी पार्क में,,, शिवाजी महाराज से आशीर्वाद लेकर 50 हजार से अधिक जनता के सामने कांग्रेस - एनसीपी के विधायकों को मंत्री बनाकर,,, साथ चलने के लिए मुख्यमंत्री की शपथ ली है। वह सरकार कैसे नहीं चलेगी और चोरी - चोरी रात को नींद से उठा कर महामहिम राष्ट्रपति से महाराष्ट्र का राष्ट्रपति शासन खत्म कर मुंबई के राजभवन के एक कमरे में बिना ब्यूरोक्रेट्स,,, बिना राजनेताओं के,,, बिना स्वतंत्रता सेनानी और बिना समाजसेवी की अग्रणी चेहरों को मेहमान बनाएं। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की सरकार एनसीपी के अजीत पवार को उप मुख्यमंत्री बनाकर कैसे साथ चल सकती थी।